wolves hunt more on moonless nights know how true this is
अमावस की रात को कहानियों में बहुत डरावना बताया जाता रहा है. वहीं इसका संबंध भेड़ियों से भी जोड़ा जाता रहा है. कहानियों में कहा जाता है कि भेड़िये अमावस की रात में ज्यादा शिकार करते हैं और ज्यादा खूंखार हो जाते हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि इस बात में कितनी सच्चाई है? और क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार भी है? चलिए इसका जवाब जानते हैं.
यह भी पढ़ें: लाखों लोगों की मौत और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा, कहानी तंबोरा के विस्फोट की
अमावस की रात से भेड़ियों का क्या है संबंध?
अमावस की रात में चंद्रमा दिखाई नहीं देता और रात अंधेरी होती है। इस अंधेरे का फायदा उठाकर भेड़िये शिकार करते हैं, ऐसा मानना आम है। यह धारणा शायद इसलिए पैदा हुई क्योंकि अंधेरे में शिकार करना भेड़ियों के लिए आसान होता है और वो अपने शिकार को आसानी से पकड़ सकते हैं।
यह भी पढ़ें: सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बदल जाता है ताजमहल का रंग? जानिए क्या है सच
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
वैज्ञानिकों के मुताबिक, अमावस की रात में भेड़ियों के शिकार करने का कोई खास कारण नहीं है. भेड़िये शिकार तो करते हैं, लेकिन ये उनके पास खाने के लिए पर्याप्त भोजन है या नहीं और उन्हें शिकार कैसे और कितने मिलते हैं इसपर निर्भर करता है. चंद्रमा की रोशनी का उनके शिकार करने पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता.
वैज्ञानिकों का मानना है कि भेड़िये आमतौर पर रात में शिकार करते हैं, चाहे अमावस हो या पूर्णिमा। रात के अंधेरे में वो अपने शिकार को आसानी से ढूंढ सकते हैं. भेड़िये का शिकार करना मुख्य रूप से भोजन की पहुंच पर निर्भर करता है. यदि उनके आसपास शिकार मौजूद है तो वो किसी भी रात शिकार कर सकते हैं. इसके अलावा मौसम, तापमान और अन्य पर्यावरणीय कारण भी भेड़ियों के शिकार करने के व्यवहार को प्रभावित करते हैं.
यह भी पढ़ें: मिलावटी दूध या घी बेचने वाला पकड़ा गया तो उसे कितनी सजा होगी, जानें क्या कहता है कानून
कहानियों में क्यों बताया गया भेड़ियों को खतरनाक?
सदियों से भेड़ियों को खूंखार और बुरा जानवर माना जाता रहा है. अमावस की रात को इन कहानियों में और डरावना बना दिया गया. अंधेरा लोगों में डर पैदा करता है. इस डर के कारण लोगों ने भेड़ियों को अमावस की रात में ज्यादा खतरनाक मानना शुरू कर दिया. पहले के समय में लोगों के पास भेड़ियों के व्यवहार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसलिए वे अंधविश्वासों पर विश्वास करते थे.
यह भी पढ़ें: लाखों लोगों की मौत और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा, कहानी तंबोरा के विस्फोट की