World Elder Abuse Awareness Day Two thirds of elderly people are victims of harassment


‘खुद से चलकर नहीं ये तर्ज-ए-सुखन आया है, पांव दाबे हैं बुजर्गों के तो फन आया है.’ मुनव्वर राना की लिखी ये लाइनें शायद ही आज के समाज में फिट बैठती हैं. घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान तो छोड़ दीजिए, आज लोग उनका उत्पीड़न करने से बाज नहीं आ रहे. 

सोचिए स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा को बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार के बारे में लोगों को जागरू करना पड़ा. दरअसल, साल 2011 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार घोषणा की कि हर साल 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (World Elder Abuse Awareness Day) मनाया जाएगा.

विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस के दिन क्या होता है

हर साल इस दिन को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ एक थीम निकालता है और पूरी दुनिया में जगह – जगह इस थीम को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जाता है. इस साल की थीम है आपात स्थितियों में वृद्ध व्यक्तियों पर प्रकाश डालना. इसके अलावा इस दिन लोगों को बुजुर्गों के अधिकारों को लेकर भी जागरुक किया जाता है और युवाओं को समझाया जाता है कि वह अपने घर के बुजुर्गों के साथ कैसे सौम्यता से व्यवहार करें.

उत्पीड़न का शिकार हो रहे बुजुर्ग

साल 2023 में एजवेल फाउंडेशन नाम की एक गैर सरकारी संगठन ने बुजुर्गों पर किए अपने एक सर्वेक्षण के आधार पर दावा किया कि देश में दो तिहाई बुजुर्ग अपने परिजनों द्वारा उत्पीड़न का शिकार होते हैं. इस सर्वेक्षण में एनजीओ ने लगभग 5000 बुजुर्गों से बातचीत की थी.

इस सर्वेक्षण में जिन बुजुर्गों ने एनजीओ से बातचीत कि उनमें से 77 फीसदी का कहना था कि उन्हें पता ही नहीं कि उनके मानवाधिकार क्या-क्या हैं. कई बुजुर्ग अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की बात खुल कर इसलिए नहीं करते, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे परिवार में तनाव उत्पन्न हो जाएगा.

हेल्पएज इंडिया का सर्वे क्या कहता है

साल 2018 में हेल्पएज इंडिया ने भी बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर एक सर्वे किया था. इस सर्वे में जो बात निकल कर आई थी, वो आपको हैरान कर देगी. इस सर्वे के अनुसार, 29 फीसदी लोगों का मानना था कि घर के बुजुर्गों का ख्याल रखना बोझ की तरह लगता है. जबकि, 15 फीसदी ऐसे लोग थे, जो इस काम को बहुत बड़ा बोझ समझते हैं. ये सर्वे टियर वन और टियर टू शहरों में किया गया था.

इस सर्वे में ये बात भी निकल कर सामने आई कि 25.7 फीसदी लोग अपने घर के बुजुर्गों को लेकर गुस्सा या चिड़चिड़ापन महसूस करते हैं. वहीं बुजुर्गों को समय देने की बात करें तो 42.5 फीसदी लोग अपने बुजुर्गों को अकेला छोड़ कर चले जाते हैं. जबकि, 65 फीसदी लोग अपने बुजुर्गों को मेड के सहारे छोड़ कर चले जाते हैं.

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