World environment Day 2023 : वो घर जहां शुद्ध हवा होगी, खुद बिजली बनेगी और पानी मिलेगा


पूरी दुनिया 05 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के तौर पर मना रही है. क्या आपको ऐसे किसी घर के बारे में मालूम हो, जो खुद प्रकृति जैसी खासियतें लिये हुए हो. जहां शुद्ध हवा हो. जीवन के लिए जरूरी ऊर्जा प्रकृति से मिले. पानी भी ये घर खुद ही दे दे. दुनियाभर में इसी को मद्देनजर रखकर ग्रीन होम की बातें ही नहीं हो रही हैं बल्कि ऐसे घर और आफिस बनाए भी जा रहे हैं.

 ग्नीन घरों का मतलब ऐसे घर जहां हम प्रकृति जैसा वातावरण बना सकें. उसी के बीच रहें और हवा, पानी और सूरज के साथ अपने घर में क्रिएट प्रकृति से पानी, उर्जा और अन्य जरूरतें पूरी कर सकें. ऐसे घरों में छतों को हरा-भरा करने के साथ बरसात के पानी का स्टोर करने, सोलर पैनल के जरिए बिजली पैदा करने पर जोर दिया जा रहा है.

आप  ऐसे घर में रहें, जिसकी छतों पर हरियाली लहलहाए. रंग बिरंगे फूल मुस्कराएं. हरे – भरे लान में मुलायम सी घास हो, कुछ छोटे बड़े पेड़ पौधे हों. ऐसी छतें हमारे देश में भले ही न हों लेकिन अमेरिका और यूरोप में ये हकीकत बनती जा रही हैं. ये ऐसी छतें होती हैं, जिन्हें ग्रीन टॉप या ग्रीन रूफ कहा जाता है.

छतें बागीचा होंगी और खेत बनेंगी

आमतौर पर हम-आप जो घर बनाते हैं वहां छतें लंबी चौड़ी तो हो सकती हैं, लेकिन होती वीरान हैं, खाली-खाली होती हैं, उनका ज्यादा उपयोग नहीं होता. आने वाले समय में अपने देश में भी शायद ऐसा नहीं होगा, छतों पर हरी भरी दुनिया का नया संसार दिखेगा. छतें केवल छतें नहीं होंगी. बल्कि बागीचा होंगी. खेत होंगी. फार्महाउस होंगी, जिन पर आप चाहें तो खूब सब्जी पैदा करिये.

छतों से पैदा होगी बिजली

इन्हीं छतों से बिजली पैदा की जायेगी. इनसे घरों का तापमान कंट्रोल किया जा सकेगा. कुछ मायनों में एसी का काम करेंगी. इन्हीं के जरिेए वाटरहार्वेस्टिंग का भी काम होगा.

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समय की जरूरत हैं ऐसे ग्रीन होम, जो आपको प्रकृति के बीच रहने का अहसास कराएं, घर के तापमान को कम रखें और अपनी बिजली-पानी की जरूरतें खुद पूरा करें

क्यों चाहिए ग्रीन छतें और ग्रीन बिल्डिंग्स

-भारत दुनिया का पांचवां बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है

– देश बड़े पैमाने पर बिजली संकट का सामना कर रहा है, जो समय आने के साथ और बढेगा

– पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं. पानी के स्रोत सीमित हैं लेकिन जनसंख्या तेजी से कई गुना हो चुकी है.

– वर्ल्ड बैंक का आंकलन है कि अगले दो दशकों में भारत ने अगर पानी प्रबंधन के लिए गंभीर पहल नहीं की तो गहरा संकट पैदा हो जायेगा।

– हमारे बड़े शहरों में वायु प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है

– बड़े शहरों में जमीन खत्म हो चुकी है. पार्क गिने चुने हैं. लोगों को कंक्रीट के जंगल में ताजी हवा तक नसीब नहीं.

– बरसात के पानी व्यर्थ चला जाता है. हम इसका कोई उपयोग नहीं कर पाते.

क्या होना चाहिए

– देश में ग्रीन नार्म्स का पालन खासकर नई बिल्डिंग्स में अनिवार्य कर देना चाहिए. यानि नये भवन ग्रीन हों. उनकी छतों पर लान या पार्क विकसित किये जाएं.  सोलर पैनल लगें.

– ये देखना चाहिए कि क्या हम अपनी विशालकाय इमारतों की खाली छतों का उपयोग ग्रीन बनाने में कर सकते हैं या नहीं.

– बड़े भवनों, कामर्शियल बिल्डिंग्स और कारपोरेट हाउसेस के लिए ग्रीन टैक्नॉलॉजी का उपयोग अनिवार्य हो जाना चाहिए. इनमें वाटर हार्वेस्टिंग, सोलर एनर्जी जेनरेशन की व्यवस्था होनी चाहिए.

– अगर कोई ग्रीन बिल्डिंग बनाता है या ग्रीन रूफ्स विकसित करता है तो टैक्स छूट के जरिए उसे सरकार को राहत की व्यवस्था करनी चाहिए.

– बड़े बिल्डर्स के लिए नई परियोजनाओं में कुछ हद तक इसके पालन को अनिवार्य किया जाना चाहिए.

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अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के तमाम देशों में जो भी नए घर बनाए जा रहे हैं, उसमें ग्रीन बिल्डिंग्स के नार्म्स का पालन करना ही होता है

 क्या हैं दूसरे देशों में कानून

ब्रिटेन में ग्रीन बिल्डिंग नार्म अनिवार्य है, लेकिन अभी ये केवल सरकारी इमारतों या जनता के पैसों पर बनने वाले भवनों पर है. ये कानून आमतौर पर सभी के लिए लागू है.

अमेरिका में कुछ राज्यों में ग्रीन बिल्डिंग्स का नार्म अनिवार्य है. कनाडा में ग्री बिल्डिंग का नार्म सबके लिए जरूरी.

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FIRST PUBLISHED : June 05, 2023, 11:19 IST



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