World Largest Democracy India Is First Country To Use EVMs For Lok Sabha And Assembly Elections – भारत EVM का इस्तेमाल करने वाला पहला देश, दुनिया को ऐसे दिखाया डिजिटल डेमोक्रेसी का रास्ता



fpcf6j4s evm World Largest Democracy India Is First Country To Use EVMs For Lok Sabha And Assembly Elections - भारत EVM का इस्तेमाल करने वाला पहला देश, दुनिया को ऐसे दिखाया डिजिटल डेमोक्रेसी का रास्ता

पहली बार केरल में हुआ EVM का इस्तेमाल

19 मई 1982 को केरल के उत्तरी परवूर निर्वाचन क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल किया गया. ये एक पायलट प्रोजेक्ट था. 84 पोलिंग बूथ में से 50 बूथों में पहली बार सिक्योर डायरेक्ट डिजिटल वोट रिकॉर्डिंग डिवाइस का इस्तेमाल किया गया. अमेरिका स्थित थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, करीब एक दशक बाद 1990 में नीदरलैंड EVM की टेस्टिंग करने वाला दुनिया का दूसरा देश बना.

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चेन्नई मैथेमैटिकल इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर राजीव एल करंदीकर बताते हैं, “EVM और भारत का एक दिलचस्प इतिहास है. ये सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति से बहुत पहले आए थे. जब भारत को EVM मिलीं, उससे कुछ समय पहले ही IBM ने अमेरिका में पर्सनल कंप्यूटर पेश किया था. दोनों वास्तव में रियल मशीनें हैं.”

EVM टेक्नोलॉजी को डिजाइन करने और इसे सिक्योर करने के प्रोजेक्ट से जुड़े एक IIT के डायरेक्टर बताते हैं, “हममें से ज्यादातर लोग जानते हैं कि भारत ने बहुत पहले ज़ीरो का आविष्कार किया. लेकिन हाल ही में 1982 में भारत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में ‘जीरो’ का इस्तेमाल करने वाला भी दुनिया का पहला देश बन गया है. क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स पूरी तरह से 0 और 1 के बारे में है.” उन्होंने बताया, “लोकसभा चुनाव में मतदाता देश की सरकार चुनने के लिए EVM पर अपना वोट डालेंगे. इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए. भारत लोकतंत्र की जननी है और आज एक डिजिटल रूप से सशक्त लोकतंत्र भारत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल करने में अग्रणी था. EVM सुरक्षित मतदान के लिए एक इनोवेशन है.”

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा, “EVM भारत के लिए गर्व की बात है, क्योंकि वे झूठ नहीं बोल सकते. मुझे मशीनों की विश्वसनीयता के बारे में कोई संदेह नहीं है.” 

भारत समेत इन देशों में होता है EVM का इस्तेमाल

भारत समेत करीब 25 देश इस समय डिजिटल वोटिंग का इस्तेमाल करते हैं. भारत के चुनाव आयोग के मुताबिक, EVM का इस्तेमाल करने वाले देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, इटली, स्विट्जरलैंड, कनाडा, मैक्सिको, अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, पेरू, वेनेजुएला, नामीबिया, नेपाल, भूटान, आर्मेनिया और बांग्लादेश शामिल हैं. 

वैसे विश्व स्तर पर डिजिटल वोटिंग कई तरह की होती है. कुछ देशों में भारत की तरह पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग होती है. जबकि ऐसे देश भी हैं, जहां सिर्फ वोटों की गिनती इलेक्ट्रॉनिक होती है. दूसरी ओर, एस्टोनिया जैसे कुछ देशों ने इंटरनेट बेस्ड डिस्टेंस वोटिंग का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. जबकि कुछ देशों में तय पोलिंग बूथों पर वोटिंग कराई जाती है. इस दौरान ऑप्टिकल स्कैनर का इस्तेमाल भी किया जाता है.

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भारत में दो सरकारी कंपनियां बनाती हैं EVM 

ज्यादातर देशों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग डिवाइस प्राइवेट कंपनियों की ओर से इंस्टॉल किए जाते हैं. भारत में EVM को बनाने का काम दो सरकारी कंपनियों के पास है. ये कंपनियां हैं बेंगलुरु स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और हैदराबाद स्थित हैदराबाद स्थित इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL). कुछ प्राइवेट कंपनियां भी ये मशीनें बनाती हैं, लेकिन सरकारी कंपनियों की तुलना में उनकी बनाई EVM साइबर सिक्योरिटी के लिहाज से अच्छी नहीं मानी जाती.

दुनिया का सबसे हाईटेक देश अमेरिका इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के कई अलग-अलग रूपों का इस्तेमाल करता है. इसका कोई राष्ट्रव्यापी स्टैंडर्ड नहीं है. कुछ लोगों का मानना ​​है कि ब्लॉकचेन-बेस्ड वोटिंग के आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो सकता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सभी इंटरनेट-बेस्ड वोटिंग में साइबर फ्रॉड का खतरा है.

अब तक 451 मिलियन भारतीयों ने डाला वोट

इस साल आधे से ज्यादा देशों में चुनाव हो रहे हैं, लेकिन सिर्फ भारत में ही 969 मिलियन मतदाता वोट डालने के पात्र हैं. इन सभी को 1.05 मिलियन से ज्यादा पोलिंग बूथ पर डिजिटल रूप से दर्ज किया जाएगा. लोकसभा चुनाव के 4 फेज की वोटिंग के बाद चुनाव आयोग की डेटा से पता चलता है कि पहले ही 451 मिलियन भारतीयों ने अपना वोट डाल दिया है. पिछले कुछ हफ्तों में डिजिटल रूप से वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या अमेरिका की पूरी आबादी (335 मिलियन) से ज्यादा है.

2004 के बाद से सभी संसदीय चुनाव EVM के जरिए किए जा सकते हैं. चुनाव आयोग के डेटा से पता चलता है कि अब तक लगभग 3200 मिलियन या 320 करोड़ वोट EVM के जरिए डाले जा चुके हैं. 

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नीदरलैंड और जर्मनी ने बंद किया EVM का इस्तेमाल

दिलचस्प बात यह है कि कई देशों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग शुरू की है, लेकिन कुछ ने थोड़ी बहुत टेस्टिंग के बाद इसे छोड़ दिया. क्योंकि उन्हें यह साइबर सिक्योर सिस्टम नहीं लगा. नीदरलैंड और जर्मनी ऐसे देश हैं, जिन्होंने पहले EVM से इलेक्शन करवाया, लेकिन बाद में पुराने सिस्टम में लौट गए.

EVM डिजाइन करने में चुनाव आयोग की मदद करने वाले IIT-बॉम्बे के एक एक्सपर्ट बताते हैं, “भारत की EVM की खासियत यह है कि उन्हें 21वीं सदी के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के लिए डिजाइन किया गया है. इसलिए यह उन्हें एंटी हैकिंग और एंटी टैंपरिंग वाला बनाती है.”

समझें कैसे सेफ हैं EVM? 

2024 के लोकसभा चुनावों में लगभग 5.5 मिलियन EVM का इस्तेमाल किया जाएगा. हर EVM एक स्टैंडअलोन डिवाइस है, जो एक बेसिक कैलकुलेटर की तरह है. यहां तक कि चुनाव आयोग EVM के जिस लेटेस्ट थर्ड जनरेशन का इस्तेमाल करता है, वो न तो इंटरनेट से कनेक्ट है और न ही ब्लूटूथ से. यह उन्हें सेफ बनाता है. EVM को ऐसे डिजाइन किया गया है कि टैंपरिंग की स्थिति में ये इनएक्टिव हो जाता है और सिर्फ ओरिजनल क्रिएटर ही मशीन को रीसेट कर सकता है.

कई विदेशी विशेषज्ञ शिकायत करते है कि भारत की EVM पुरानी हैं. इन्हें मॉडिफिकेशन की जरूरत है. हालांकि, चुनाव आयोग के विशेषज्ञों का कहना है कि टाइम पीरिएड के साथ कभी-कभी इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी को एक्स्ट्रा सिक्योरिटी लेवल मिल जाता है. अगर किसी को EVM हैक करना है, तो कुल 5.5 मिलियन इंडिविजुअल EVM को हैक करना होगा, जो लगभग असंभव है. 

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