world students day is celebrated in honour of this indian president who shared a great bond with ratan tata
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World Students Day: दुनिया में आए दिन कोई ना कोई दिन सेलिब्रेट किया जाता है. 12 तारीख को पूरे भारत में दशहरा का त्यौहार मनाया गया था. तो वहीं कल पूरी दुनिया विश्व विद्यार्थी दिवस यानी वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे मनाएगी. इस दिन का भारत से खास कनेक्शन है. क्योंकि यह दिन भारत के पूर्व राष्ट्रपति को समर्पित है. बता दें कल यानी 15 अक्टूबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्मदिन है.
और पूरी दुनिया में उनके जन्मदिन को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के तौर पर मनाया जाता है. एपीजे अब्दुल कलाम की जिंदगी में भारत के मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा 9 अक्टूबर को जिनका देहांत हुआ था उनका खासा प्रभाव था. रतन टाटा और एपीजे अब्दुल कलाम के बीच खास रिश्ता था. चलिए आपको बताते है.
एपीजे अब्दुल कलाम को समर्पित वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे
15 अक्टूबर 1931 के दिन तमिलनाडु के रामेश्वरम में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था. एपीजे अब्दुल कलाम भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के विश्व विख्यात वैज्ञानिकों में से एक थे. भारत को परमाणु शक्ति बनाने में भी एपीजे अब्दुल कलाम का अहम योगदान रहा था. 21 जुलाई साल 2002 में उन्हें भारत के 11 राष्ट्रपति के तौर पर नामित किया गया था. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन काफी संघर्ष वाला था. लेकिन उन्होंने सभी मुश्किलों को पार करते हुए जीवन की तमाम ऊंचाइयों को हासिल किया.
छात्रों के बीच भी एपीजे अब्दुल कलाम काफी मशहूर रहे. उनका जीवन बेहद सादगी भरा था. भारत के राष्ट्रपति होने के साथ साथ हो एक बेहतरीन शिक्षक भी थे. उन्होंने कई यूनिवर्सिटी में छात्रों को व्याख्यान भी दिया. उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए ही 15 अक्टूबर 2010 को संयुक्त राष्ट्र संगठन ने उनके जन्मदिन को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के तौर पर मनाने का ऐलान किया है. तब से लेकर हर साल उनके जन्मदिन को वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे के तौर पर मनाया जाता है.
रतन टाटा से था खास रिश्ता
एपीजे अब्दुल कलाम को भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में मिसाइल मैन के तौर पर जाना जाता है. लेकिन उन्हें मिसाइल मैन का खिताब दिलाने में रतन टाटा का बड़ा योगदान रहा था. बात साल 1993 की है, उस दौरान रतन टाटा टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज यानी टीसीएस के अध्यक्ष हुआ करते थे और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम डिफेंस मिनिस्टर के साइंटिफिक एडवाइजर के पद पर तैनात थे. उन्हीं की देखरेख में डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ में मिसाइल बनाई जा रही थी.
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मिसाइल बनाने का काम काफी धीमा चल रहा था. देश के अलग-अलग जगह पर उसके अलग-अलग पार्ट बनाए जा रहे थे. एपीजे अब्दुल कलाम इस बात को लेकर काफी चिंतित थे. वह चाहते थे कि यह काम जल्दी हो जाए. इसीलिए उन्होंने इस काम के लिए सेवा भवन में रतन टाटा से मीटिंग की. रतन टाटा ने एपीजे अब्दुल कलाम के अनुरोध पर सॉफ्टवेयर बनवाया. जिससे मिसाइल बनाने के काम में तेजी आई. और यहीं से रतन टाटा और अब्दुल कलाम की दोस्ती भी हो गई.
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