Worrying news from Delhi regarding sex ratio there are 922 women for every 1000 men


राजधानी दिल्ली में लगातार तीसरे साल बच्चों के जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है. ये हम नहीं रिपोर्ट कह रही है. बता दें कि 2023 में प्रति 1000 लड़कों पर 922 लड़कियों का जन्म हुआ, जबकि 2022 में यह आंकड़ा 929 था. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर दिल्ली में लिंगनुपात के बीच इतना अंतर क्यों आ रहा है और इसको लेकर सरकारी रिपोर्ट क्या कहती है. 

लिंगानुपात

राजधानी दिल्ली में बीते कुछ सालों में लिंगानुपात में काफी अंतर देखने को मिला है. हालांकि दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा कि ये गिरावट मामूली है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसको लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि राजधानी में जन्म से पहले लिंग निर्धारण परीक्षणों की संख्या बढ़ रही है और अधिकारियों को इस पर नकेल कसनी चाहिए.

क्या है लिंगानुपात का आंकड़ा?

नागरिक पंजीकरण प्रणाली से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 2005 में प्रति 1000 पुरुषों पर 822 महिला जन्म दर्ज था. वहीं साल 2015 में जन्म के समय लिंगानुपात 898 दर्ज किया गया था, जो 2020 में बढ़कर 933 हो गया था. लेकिन तब से इसमें गिरावट आ रही है. 2021 में यह 932 दर्ज किया गया था, 2022 में यह घटकर 929 और 2023 में 922 हो गया था.

रिपोर्ट में क्या आया सामने 

रिपोर्ट के मुताबिक  2022 के दौरान 23.82 के मुकाबले 2023 के दौरान प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर शिशु मृत्यु दर 23.61 दर्ज की गई, जबकि 2022 में 0.49 के मुकाबले 2023 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु दर 0.45 थी. 2023 के दौरान पंजीकृत जन्मों की कुल संख्या 3,15,087 थी, जबकि 2022 के दौरान यह संख्या 3,00,350 थी, 2023 में दिल्ली में प्रतिदिन जन्म लेने वालों की औसत संख्या 823 के मुकाबले 863 थी. सरकारी अस्पतालों में जन्म का प्रतिशत 64.56 था. वहीं मां के निवास स्थान के अनुसार कुल जन्मों में से 13.79% जन्म ग्रामीण और 86.21% शहरी थे. सिर्फ केवल 0.01% मामलों में ही प्रसव रिश्तेदारों या अन्य लोगों की मदद से हुआ था. वहीं 99.68% मामलों में एक डॉक्टर, नर्स या एक प्रशिक्षित दाई मौजूद थी, और 0.3% मामलों में  एक अप्रशिक्षित दाई या पारंपरिक जन्म परिचारक उपलब्ध था.

मृत्यु दर में मामूली गिरावट

इसके अलावा दिल्ली शहर में जन्म दर 2022 में 14.24 प्रति हजार से बढ़कर 2023 में 14.66 हो गई है, जबकि मृत्यु दर भी मामूली रूप से बढ़कर 6.07 से 6.16 हो गई है. बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में इस आंकड़े में खासा सुधार देखने को मिला था. 

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