WTC Final Loss Team India Five Big Mistakes Made by Rohit Sharma Rahul Dravid IND vs AUS Ashwin KS Bharat | हार के लिए कौन जिम्मेदार? जानें वो 5 गलतियां जिनसे टूटा ICC ट्रॉफी का सपना
भारतीय टीम के लिए साल 2013 के बाद यह चौथा आईसीसी फाइनल था और दुर्भाग्यवश एक बार फिर से टीम के हाथ निराशा ही लगी है। साल 2013 में टीम इंडिया ने आखिरी बार आईसीसी ट्रॉफी जीती थी जब टीम इंडिया ने एमएस धोनी की कप्तानी में इंग्लैंड में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी। उसके बाद से अभी तक लगातार भारत के लिए आईसीसी ट्रॉफी का सूखा जारी है। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में लगातार दो साल के अंदर दूसरी बार टीम इंडिया को फाइनल में हार झेलनी पड़ी है। 2021 में न्यूजीलैंड ने भारत को हराया था तो इस बार ऑस्ट्रेलिया ने मात दे दी। आखिर ओवल में खेले गए इस फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया की हार का कौन जिम्मेदार है? यह इस वक्त सबसे बड़ा सवाल है।
इस मुकाबले के दौरान टीम इंडिया ने एक नहीं अनेक गलतियां की, इसमें कोई शक की बात नहीं है। टॉस से शुरू हुआ गलतियों का सिलसिला मैच की आखिरी गेंद तक जारी रहा। यही कारण है कि कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच राहुल द्रविड़ की जोड़ी सिर्फ फैंस ही नहीं बल्कि क्रिकेट पंडितों के भी निशाने पर है। वैसे तो कई दिग्गजों ने टीम इंडिया की गलतियों को गिनाया, कई गुनहगार भी सामने आने। अब हम जानते हैं कि मुख्य रूप से क्या वो पांच गलतियां रहीं जिसके कारण टीम इंडिया एक बार फिर से आईसीसी ट्रॉफी के करीब पहुंचकर फिसल गई।
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क्या रहीं वो 5 गलतियां?
Rohit Sharma
टॉस से शुरू हुई गलती
सबसे बड़ा कारण रहा कि भारतीय टीम के कोच और कप्तान पिच को शायद सही से पढ़ने में नाकामयाब रहे। यही कारण रहा कि रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुन ली। उसी से जुड़े सभी कारण हैं। जिस पिच पर भारतीय गेंदबाजों ने रन लुटाए। वहीं ऑस्ट्रेलियाई पेसर्स खूब बरसे। सिर्फ पेसर्स ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर नाथन लायन ने भी भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया। इसी के बाद चलते हैं दूसरी बड़ी गलती पर।
रविचंद्रन अश्विन को किया नजरअंदाज
जब टीम के कप्तान और कोच ने पिच को रीड करने में गलती कि तो टीम कॉम्बिनेशन में भी छेड़छाड़ हो गई। दुनिया के नंबर एक और भारत के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मौजूदा गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन को इस मुकाबले में नहीं खिलाया गया। अश्विन की कमी टीम को तब खलने लगी जब चौथे गेंदबाज उमेश यादव पहली पारी में कुछ नहीं कर पाए और ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को खूब छकाया। दूसरी पारी में भी एलेक्स कैरी और मिचेल स्टार्क ने बल्ले से परेशान किया। अश्विन का ना होना ऑस्ट्रेलिया के लेफ्ट हैंड बैट्समैन के लिए खुशखबरी थी और टीम इंडिया की यह शायद सबसे बड़ी गलती भी साबित हुई।
मध्यक्रम में केएस भरत की फ्लॉप बल्लेबाजी
टीम इंडिया को इस मैच में सबसे ज्यादा कमी खली ऋषभ पंत की जो रोड एक्सीडेंट के बाद से टीम से बाहर हैं। पंत के रिप्लेसमेंट के तौर पर आए केएस भरत ने इससे पहले बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में भी निराश किया था। अब इस महामुकाबले की दोनों पारियों में भी वह फेल साबित हुए। वह एक अच्छे विकेटकीपर जरूर हैं लेकिन बल्लेबाजी में उनका प्रदर्शन टीम इंडिया के लिए हानिकारक रहा। टीम के पास ईशान किशन थे और उनकी बल्लेबाजी शैली भी पंत जैसी है। वहीं रवींद्र जडेजा ही टीम में सिर्फ लेफ्ट हैंडर थे, अगर ईशान को मौका मिलता तो शायद कुछ रनों में और इजाफा हो सकता था।
बल्लेबाजों की गलतियां
टीम इंडिया के बल्लेबाज पिछले कुछ सालों में पाटा पिचों पर ही रन बनाते दिखे हैं। कुछ महीनों पहले बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में अपने घर पर भी टर्निंग ट्रैक्स पर टीम इंडिया के बल्लेबाज ढेर हो रहे थे। आखिरी टेस्ट में जब अहमदाबाद में बल्लेबाजी के अनुकूल पिच मिली तो वहां सभी ने रन बनाए। इसके अलावा क्वालिटी पेस अटैक के सामने काफी समय से भारतीय बल्लेबाजों का फ्लॉप शो जारी है। फिर चाहें वो कोहली हो, रोहित हो, पुजारा हो या शुभमन गिल। सभी ने जिस तरह निराश किया यह कहना गलत नहीं होगा कि यह खिलाड़ी शायद घर के और पाटा पिचों के ही शेर बनकर रहे गए हैं। उससे बड़ी खामी रही खिलाड़ियों के गैरजिम्मेदाराना शॉट भी जो इस हार और टीम इंडिया के ढेर होने का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरे।
लोअर ऑर्डर को आउट करने में फेल
पिछले कुछ सालों में कई बार देखा गया है कि टीम इंडिया के गेंदबाज टॉप ऑर्डर से विकेट गिरा लेते हैं लेकिन लोअर ऑर्डर आते-आते फंस जाते हैं। पिछले WTC फाइनल में न्यूजीलैंड के गेंदबाज टिम साउदी और काइल जैमीसन ने बल्ले से परेशान किया था। तो इस बार दूसरी पारी में मिचेल स्टार्क ने एलेक्स कैरी के साथ टीम को परेशान किया। शायद यह 444 का लक्ष्य 350 या उससे भी कम तक रह सकता था। पर 7वें विकेट के लिए स्टार्क के साथ कैरी की 90 से ऊपर की पार्टनरशिप मुश्किल में डाल गई। यह समस्या टीम इंडिया की आज की नहीं बल्कि काफी पुरानी है। अगर लक्ष्य 350 या उससे कम होता तो शायद परिणाम भी कुछ और हो सकता था।
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