Your brain may not be private for much longer Here know why
Human Brain & Artificial Intelligence: आपने अक्सर इंसानी दिमाग को पढ़ने वाले मशीन के बारे में सुना होगा. यह पिछले लंबे समय से अस्तित्व में है. साल 1895 में वैज्ञानिक जूलियस एम्मनर (Julius Emmner) ने कहा था कि उनकी मशीन विचारों के पैटर्न को ठीक उसी तरह रिकॉर्ड कर सकती है, जिस तरह ध्वनि को रिकॉर्ड किया जा सकता है. एम्मनर के जेहन में यह ख्याल फोनोटोग्राफ (Phonautograph) से आया था, जो हवा से ध्वनि तरंगों को निकालकर कागज पर लिख सकता था. उस वक्त एम्मनर और पूरी दुनिया को लगा कि वह विचार के साथ भी ऐसा करने में सक्षम हो सकते हैं.
जूलियस एम्मनर अपनी मशीन से विचारों को “मानसिक तस्वीरों” के रूप में रिकॉर्ड करना चाहते थे, जिसे किसी ऐसे व्यक्ति को दोहराया जा सकता था जो उन्हें “अचेतन तरीके से” प्राप्त करता था. एम्मनर की मानें तो इंसानी दिमाग को पढ़ने का तरीका ढूढ़ लिया गया था. जिससे विचारों को रिकॉर्ड करना आसान हो सकता था, कुछ भी छिपा पाना मुश्किल था.
ये भी पढ़ें-
अब एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक एंट्री
वहीं, अब एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने हाल ही में अपने प्रत्यारोपित इलेक्ट्रोड के लिए मानव परीक्षण शुरू करने ऐलान किया है. इसका उदेश्य न्यूरॉन्स से संकेतों को पढ़ना है. इस प्रोजेक्ट पर एलन मास्क का कहना है कि उनका दीर्घकालिक लक्ष्य मानवों और आर्टिफिशियल इंडेलीजेंस को साथ लाना है. इसके अलावा सिंक्रोन ने माइक्रोइलेक्ट्रोड का आविष्कार किया है, जिसे मस्तिष्क में गहरी रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पारित करके स्थापित किया जा सकता है, जिससे ओपन ब्रेन सर्जरी की आवश्यकता नहीं होगी.
ये भी पढ़ें-
कहीं मीठा तो कहीं खारा, हर जगह अलग क्यों होता है पानी का टेस्ट? जान लें इसकी वजह
… तो आपका दिमाग प्राइवेट नहीं रह जाएगा?
साथ ही अगर ऐसा हुआ तो भविष्य में इंसानी दिमाग को पढ़ना आसान हो जाएगा. आप अपने दिमाग को प्राइवेट नहीं रख पाएंगे. आपको जानकार हैरानी होगी कि इस तकनीक के बाद अगर आपने अपने दिमाग में कुछ सोचा है तो वह महज आपके तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे दूसरा इंसान भी पढ़ने में सक्षम होगा.
ये भी पढ़ें-
IAS अधिकारी की नौकरी कौन और कैसे छीन सकता है? जान लीजिए नियम